
दिल्ली में नए तरीके से ह्यूमन ट्रैफिकिंग (मानव तस्करी) के मामले सामने आए हैं। एक एनजीओ के मुताबिक, अब रिवर्स ट्रैफिकिंग के जरिए दिल्ली-एनसीआर की लड़कियों को दूसरे राज्यों में पहुंचाया जा रहा है। राजधानी और आसपास के इलाकों से एनजीओ के पास बीते डेढ़ साल के दौरान सात ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें लड़कियों और छोटे बच्चों को नेपाल, बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल भेजा जा रहा था।
एनजीओ के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पाया गया कि ट्रैफिकिंग एजेंट दिल्ली से दूसरे राज्यों के रेड लाइट एरिया में लड़कियों को पहुंचा रहे हैं। एनजीओ की स्टडी में यह बात सामने आई है कि असम, पश्चिम बंगाल और झारखंड से सबसे ज्यादा लड़कियों और बच्चों को देह व्यापार और बाल मजदूरी के लिए राजधानी लाया जाता है। देह व्यापार के लिए सबसे ज्यादा लड़कियां पश्चिम बंगाल से लाई जा रही हैं।
एनजीओ शक्ति वाहिनी ने बीते तीन सालों में 750 मेजर और माइनर बच्चों और लड़कियों को छुड़ाया है। रेस्क्यू की गई लड़कियों में से ज्यादातर पश्चिम बंगाल और असम से थीं। वहीं सबसे ज्यादा बाल मजदूरी के मामले झारखंड से सामने आए हैं। एनजीओ के इग्जेक्यूटिव डायरेक्टर निशिकांत ने बताया है कि बीते कुछ महीनों में रिवर्स ट्रैफिकिंग का ट्रेंड चल चुका है। 17 साल की लड़की को निजामुद्दीन से पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी रेड लाइट एरिया में पहुंचाने का मामला सामने आया है। वहीं, 14 साल की बच्ची को मारदा जिले से बांग्लादेश पहुंचाया जा रहा था। यह जिला पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा पर आता है। दो बच्चों को बाल मजदूरी के लिए नेपाल ले जाया जा रहा था। निशिकांत के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर की लड़कियों और बच्चों को इसलिए बाहर के राज्यों में बेचा जा रहा है ताकि उन्हें ट्रेस न किया जा सके।
एनजीओ के प्रोग्राम डायरेक्टर सुबीर रॉय बताते हैं कि 60 पर्सेंट मामले असम और पश्चिम बंगाल से सामने आए हैं। दिल्ली के जीबी रोड रेड लाइट एरिया में इन्हीं दो राज्यों से सबसे ज्यादा लड़कियां एजेंटों द्वारा बेची जा रही हैं। वहीं रेस्क्यू ऑपरेशन में बचाए गए बच्चों और लड़कियों को उत्तर भारत के कुछ राज्यों में भेजा जाता है। इन सभी को पंजाब, दिल्ली और हरियाणा में जबर्दस्ती शादी, बाल मजदूरी और घर में काम करने के लिए झारखंड से पहुंचाया जा रहा है।
असम और पश्चिम बंगाल से लाई जा रही लड़कियों को एजेंट दिल्ली में 50 हजार से 2 लाख रुपये में बेचते हैं। वहीं रुपये और नौकरी का झांसा देकर झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से प्लेसमेंट एजेंसियां गरीब परिवारों को टारगेट करती हैं। प्लेसमेंट एजेंसियां पैसे लेकर घरों और फैक्ट्रियों में बच्चों को सौंप देते है। ऐसे बच्चों को हर महीने मिलने वाली सैलरी भी प्लेसमेंट एजेंसी तक पहुंचाई जाती है। बच्चों की सैलरी उन्हें नहीं दी जाती है। उन्हें कब्जे में ले लिया जाता है। दिल्ली में ऐसी कई जाली प्लेसमेंट एजेंसियां चल रही हैं, जिनकी कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। मानव तस्करी के मामले बढ़ने का ये भी एक कारण है।
Comment(1)
LALA says
July 24, 2014 at 8:11 pmkindly Establish Your Mobile Branches Other States & District Places Like – Chhattisgarh (Bilaspur & Raipur) in First Preference B-Couse Chhattisgarh one of the Labour & Industrial State.